كيف أصبحتُ... - How I become...

سقطَ حُزنُها من الشرفةِ وانكسر، أصبحتْ تحتاجُ إلى حزنٍ جديد، حين رافقتُها إلى السوق، كانتْ أسعارُ الأحزان خياليةً فنصحتُهَا أنْ تشتريَ حُزناً مستعملاً، وجدنا حزناً في حالةٍ جيدة، غيرَ أنَّهُ واسعٌ قليلاً، كانَ كما أخبرَنَا البائعُ لشاعرٍ شابٍ انتحرَ في الصيفِ الماضي، أعجبَها الحزنُ وقرَّرنا أخذه، اختلفنا مع البائعِ على السعرِ، فقال إنَّه سيعطينا قلقاً يعودُ إلى الستينياتِ كهديةٍ مجانيةٍ إن اشترينا الحزن، وافقنا وكنتُ فرحاً بهذا القلقِ الذي لم يكنْ في الحسبان، أحسَّتْ بفرحتي فقالت هو لك، أخذتُ القلقَ في حقيبتي ومضينا، مساءً تذكرتُ القلق، أخرجتُهُ من الحقيبةِ وقلَّبتُهُ، لقد كانَ بجودةٍ عاليةٍ وبحالةٍ جيدةٍ رغم نصفِ قرنٍ من الاستعمال، لا بدَّ أنَّ البائعَ يجهلُ قيمتَهُ وإلَّا ما كان ليعطينَاهُ مقابلَ شراء حزنٍ رديءٍ لشاعرٍ شاب، أكثرُ ما أفرحني به هو أنَّهُ قلقٌ وجودي، مشغولٌ بحرفيةٍ عاليةٍ وفيه تفاصيلُ غايةٌ في الدقةِ والجمال، لا بدَّ أنَّهُ يعودُ لمثقفٍ موسوعيٍ أو سجينٍ سابق، بدأتُ باستعمالهِ فأصبحَ الأرقُ رفيقَ أيَّامي، وصِرتُ من مؤيدي مباحثاتِ السلام، توقفتُ عن زيارةِ الأقاربِ وازدادتْ كتبُ المذكراتِ في مكتبتي ولم أعدْ أُبدي رأياً إلا ما ندر، صارَ الإنسانُ عندي أغلى من الوطنِ وبدأتُ أشعرُ بمللٍ عام، أمَّا أكثر ما لفتَ انتباهي هو أنني أصبحتُ شاعراً.

© Ghayath Almadhoun
Produção de áudio: Literaturwerkstatt / Haus für Poesie, 2016

मैं कैसे बन गया …

उसकी पीड़ा बाल्कनी से नीचे गिर गई और उसके कई टुकड़े हो गए, इसलिए अब उसे नयी पीड़ा की दरकार थी। जब मैं उसके साथ बाज़ार गया, क़ीमत आसमान छू रही थी, सो मैंने उसे प्रयोग में आ चुकी एक पीड़ा ख़रीद लेने की सलाह दी। ऐसी ही एक हमें मिल भी गयी जो बहुत ही उम्दा स्थिति में थी हालाँकि यह थोड़ी बड़ी थी। जैसा कि विक्रेता ने हमें बताया, यह किसी युवा कवि की थी जिसने पिछली गर्मी में खुद को मार डाला था। उसको वह पीड़ा पसंद आयी इसलिए हमने उसे ख़रीदने का सोच लिया। इसकी क़ीमत को लेकर हमने विक्रेता से थोड़ा मोल-भाव किया और उसने हमें बताया कि अगर हम यह पीड़ा ख़रीदेंगे तो वह इसके साथ हमें छठे दशक की चिंता फ़्री गिफ़्ट के रूप में देगा। हम मान गए, और इस अप्रत्याशित चिंता को पाकर मैं खुश था। उसको इसकी भनक लग गयी और बोली ‘यह तुम्हारा है’। मैंने उसे लेकर अपने बैग में रख लिया और हम आगे बढ़ गए। शाम को मुझे इसकी सुध आयी और बैग से निकालकर मैंने उसे ग़ौर से देखा। वह बहुत ही उच्च गुणवत्ता की और बढ़िया स्थिति में थी इसके बावजूद कि वह आधी सदी से प्रयोग में थी। विक्रेता निश्चित रूप से इसकी क़ीमत से वाक़िफ़ नहीं था वरना वह हमें एक नौसिखिए कवि की घटिया स्तर की पीड़ा ख़रीदने के बदले यह नहीं दे देता। उसकी जिस बात से मुझे सर्वाधिक ख़ुशी हुई वह यह थी कि यह एक अस्तित्ववादी चिंता थी, क़रीने से गढ़ी गयी, जिसमें मौजूद थी अति विशिष्ट विलक्षणता और ख़ूबसूरती। यह अवश्य किसी बौद्धिक की रही होगी जिसके पास रहा होगा अथाह ज्ञान या फिर यह किसी पूर्व क़ैदी की रही होगी। मैंने इसका इस्तेमाल शुरू किया और अनिद्रा शीघ्र ही मेरी चिर संगी बन गयी। मैं शांति वार्ताओं का उत्साही समर्थक बन गया और अपने रिश्तेदारों से मिलना बंद कर दिया। मेरी अलमारियों में आत्मकथाओं की भरमार थी और मैंने अब अपने मन की बात कहनी छोड़ दी, कुछ दुर्लभ मौक़ों को छोड़कर। राष्ट्रों की तुलना में मनुष्य मेरे लिए ज़्यादा मूल्यवान हो गए और मुझे आम तौर पर विरक्ति का अनुभव होने लगा, लेकिन सबसे ज़्यादा ग़ौर करनेवाली बात यह थी कि मैं एक कवि बन गया था।

(मूल अरबी: ग़यथ अलमधून) हिंदी अनुवाद : अशोक झा (अरबी से अंग्रेज़ी : कैथरिन कोबहैम) Ghayath Almadhoun / Translated from English by: Ashok Jha