रात नींद सपने और स्त्री
नींद में ही छिपा है
स्त्री होने का स्पर्श
जिसे महसूस करती है रात
और जो छायी रहती है इस पृथ्वी पर
वह इसी स्पर्श की छाया है
जिसके नीचे नींबू के फूल खिलते हैं
चंपा की कलियाँ जन्म लेती हैं
नींद में है कहीं सौंदर्य
जिससे जुड़ी है स्त्री
पनपाती मृत्यु
ग्रसती हिंसक पुरुषार्थ को
गिराती साहसी और बलवान को
राज्य करती फिर एकाग्र भाव सें सब पर
रात में नींद है स्त्री
दिन में सौंदर्य
नींद में जागती है रात
इस रात में देखती है स्त्री
आदिम अनुभूतीयों पर थिरकते
अपने होने का कामुक स्वप्न
© Savita Singh
Audioproduktion: Goethe Institut, 2015
Audioproduktion: Goethe Institut, 2015